वेद में सृष्टि के विकास संग डीएनए की संरचना और लेक्ट्रान थ्योरी जैसे सिद्धांत समाहित

वेद में सृष्टि के विकास संग डीएनए की संरचना और लेक्ट्रान थ्योरी जैसे सिद्धांत समाहित


बीएचयू के वैदिक विज्ञान केन्द्र में चल रही राष्ट्रीय कार्यशाला में वैदिक सेल बायलॉजी एवं जेनेटिक्स विषय पर चर्चा हुई। इसमें मध्य प्रदेश के प्रो. सीपी त्रिवेदी ने कहा कि वेदों का ज्ञान ही आधुनिक विज्ञान का आधार है। वेदों में समाहित ज्ञान को खोजने के लिए आधुनिक प्रयोग करने होंगे। 


उन्होंने कहा कि वेद में सृष्टि के विकास के साथ ही डीएनए की संरचना और लेक्ट्रान थ्योरी जैसे सिद्धांत समाहित हैं। प्रो. त्रिवेदी ने कहा कि जितना ज्ञान हम आज जानते हैं, उसे वेद में खोजना अलग बात है परन्तु जहां तक अभी आधुनिक विज्ञान नहीं पहुंच पाया है, उसे वेद में खोजना चाहिए। अध्यक्षता कर रहे बीएचयू कार्यकारिणी के सदस्य प्रो. बच्चा सिंह ने कहा कि वेदों में ऊर्जा भरी हुई है। स्वागत केन्द्र के समन्वयक डॉ. उपेन्द्र कुमार त्रिपाठी, धन्यवाद प्रो. सुमन जैन तथा संचालन नेहा सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रो. लता शर्मा, डॉ. दयाशंकर त्रिपाठी, डॉ. अरविन्द त्रिपाठी, डॉ. शरदिन्दु तिवारी, डॉ. ब्रह्मदेव उपाध्याय आदि उपस्थित थे। 


स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए वेदों का ज्ञान-विज्ञान   
वेदो में वर्णित ज्ञान अधिक विकसित हैं। इस प्राचीन ज्ञान का आधुनिक प्रयोग कर नए विषयों का प्रतिपादन संभव है। वेदों में वर्णित चुम्बक मणि, तमोगर्भ लौह, वक्रपेरण यंत्र जैसे सिद्धांत से इसकी समृद्धि का आभास होता है। यह कहना है नेशनल इनफारमेटिक सेंटर के पूर्व निदेशक डॉ. सीएसआर प्रभु का। वह बीएचयू के वैदिक विज्ञान केंद्र की ओर से आयोजित 10 दिवसीय वैदिक विज्ञान के विविध आयाम विषयक कार्यशाला के सातवें दिन हाईटेक्नोलॉजी इन वृहद विमान शास्त्र विषय पर विचार व्यक्त कर रहे थे। 


उन्होंने कहा कि वैदिक विज्ञान की और लौटकर हम न सिर्फ ज्ञान विज्ञान को समृद्ध कर सकेंगे, बल्कि पर्यावरण की समस्या से भी मुकाबला कर पायेंगे। डॉ. प्रभु ने कहा कि वैदिक ज्ञान की परम्परा समृद्ध रही है। महर्षि भारद्वाज के यंत्र सर्वस्व में विमान शास्त्र की टेक्नोलॉजी समाहित है। अध्यक्षता कर रहे बीएचयू कार्यकारिणी परिषद के सदस्य प्रो. आनंद मोहन ने कहा कि वेद सम्पूर्ण व शाश्वत ज्ञान है।


इसमें कृषि, मेटलर्जी, इंजीनियरिंग के साथ ही आयुर्वेद व सर्जरी तक का ज्ञान समाहित है। इस ज्ञान का लाभ पाने के लिए स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम में वेद के ज्ञान को समाहित करना चाहिए। प्रो. आनंद मोहन ने कहा कि वैदिक विज्ञान केंद्र में प्राचीन ग्रंथों का एक पुस्तकालय भी स्थापित करना चाहिए। इस अवसर पर प्रो. संदीप कुमार, डॉ. उपेंद्र कुमार त्रिपाठी, डॉ. लता शर्मा, प्रो. सुकुमार चट्टोपाध्याय, डॉ. दया शंकर त्रिपाठी, डॉ. ब्रह्मदेव उपाध्याय, प्रो. सीपी द्विवेदी उपस्थित थे।